लेखनी प्रतियोगिता -22-Mar-2024
विषय तन्हाई मार गयी
जिंदगी का दौर देखो ऐसा आया है
हर जगह हर रिश्ते में पैसा छाया है
बचपन बीता जवानी बीतने लगी
तब लगा कि कहानी जैसे मिटने लगी
कुछ लिखकर मैं आज एक किस्सा सुनाती हूं
तन्हाई मार गई एक घर का हिस्सा बताती हूं
एक रईस घर में बेटे थे देखो चार
मां बाप अपने बच्चों से करते है प्यार
पूरी जिंदगी मेहनत से गुजारा था
तब बना महल ,पैसो का खजाना था
उम्र जब बीतने लगी ,तब दिखा की
दौलत सारी मिटने लगी
बेटे अपना अपना कह रहे दौलत
टूट रहे मां बाप जा रही शोहरत
एक वक्त आया जैसे मानो तूफ़ान
उजाड़ दिया घर को कर दिया अंजान
मां बाप अब तुम्हारी बोलो क्या जरूरत है
ना बची अब तुम्हारी क्या शोहरत है
छोड़ो घर को तुम अब निकलो तुम
तन्हाई में मां बाप अकेले घूमते
धूप में कभी छांव को ढूंढ़ते
इतनी रहीसी में तन्हाई मार गई
मां बाप अकेले दर दर भटक रहे
देखो बेटों की इंसानियत एक
घर उजाड़ गई।।
मानसी सविता
कानपुर
Mohammed urooj khan
10-Apr-2024 12:54 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Gunjan Kamal
08-Apr-2024 10:47 PM
बहुत खूब
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Varsha_Upadhyay
23-Mar-2024 10:49 PM
Nice
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